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  • गांधी फ़ैज़-ए-आम काॅलेज में हिंदी विभाग द्वारा ‘अमीर ख़ुसरो का साहित्यिक-सांस्कृतिक अवदाऩ’ विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

    दिनांक: 28 जून 2020
    गांधी फ़ैज़-ए-आम काॅलेज में हिंदी विभाग द्वारा ‘अमीर ख़ुसरो का साहित्यिक-सांस्कृतिक अवदाऩ’ विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष महाविद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष जनाब सैयद मोइनुद्दीन साहब रहे। 
    अटलांटा अमेरिका के प्रोफेसर गुलाम अहमद नादरी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अमीर ख़ुसरो का व्यक्तित्व बहु आयामी था। वे शायरी के साथ-साथ संगीत, अध्यात्म, भूगोल, भाषा विज्ञान, सैन्य विज्ञान और इतिहास के भी प्रमुख स्रोत हैं, जिसके माध्यम से हम तत्कालीन भारत की सच्ची तस्वीर की झलक पा सकते हैं। अमीर खुसरों में मुकम्मल हिंदोस्तान का तसव्वुर मिलता है। उन्होंने कहा कि उनकी रचनाओं में तत्कालीन आर्थक पक्ष पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
    जामिया मिलिया इस्लामिया के वक्ता प्रोफेसर दुर्गा प्रसाद गुप्ता ने कहा कि वर्तमान जब कई रूपों में हमें चुनौती देता हुआ प्रतीत होता है तो उस चुनौती से निपटने के लिए हम अपनी संस्कृति और कला की ओर लौटते हैं। अमीर खुसरो ने पूरी दुनिया को साहित्य और संस्कृति की भाषा सिखाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि साहित्य संवेदनाओं और अनूभूतियों की अभिव्यक्ति है। खुसरो इस अभिव्यक्ति में संगीत, सूफीवाद और दार्शनिकता को जोड़कर उसे मानवीय संवेदना के धरातल तक ले जाते हैं।
    महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट माॅरीशस के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय गुदारी ने कहा कि खुसरो राज्याश्रय में रहते हुए भी आम जन के करीब रहे। यह उनकी सबसे बड़ी विशेषता है। उनमें भारत के प्रति अद्भुत भक्ति भावना थी। वे फारसी या तुर्की के मुकाबले हिंदी को ज्यादा महत्व देते हैं।
    दूसरे सत्र में महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट माॅरीशस की ही उर्दू विभाग की प्रोफेसर अबीनाज़ अली जान ने कहा अमीर खुसरो तूतिए हिंद थे। साहित्य, संगीत में उनका जो स्थान है, वह अन्यतम है।
     अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर शंभुनाथ तिवारी ने कहा कि अमीर खुसरो का समय दो संस्कृतियों समन्वय और टकराहट का है। उस समय दो अलग-अलग संस्कृतियां भारत में अपना स्वरूप विस्तार कर रही थीं। अमीर ख़ुसरो ने इनमें संमन्वय और संतुलन स्थापित किया। 
    इससे पूर्व कार्यक्रम का आरंभ अंग्रेज़ी विभागाध्यक्ष डाॅ0 ख़लील अहमद द्वारा तिलावते क़ुरान से हुआ। प्राचार्य प्रोफेसर जमील अहमद ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अमीर खुसरो पर विचार करना आज हमारे समय की ज़रूरत है। आयोजन सचिव डाॅ0 फैयाज़ अहमद ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि अमीर खुसरो साझा हिंदुस्तान की सच्ची तस्वीर हैं। 
    संगोष्ठी का संचालन डाॅ0 मोहम्मद साजिद ख़ान ने किया।
    इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन भी किया गया। इस वेब संगोष्ठी हेतु प्रेषित समस्त शोध पत्रों को एक पुस्तक के रूप में भी संकलित किया जाएगा।
    कार्यक्रम का तकनीकी प्रबंधन डाॅ0 मोहम्मद अरशद ख़ान तथा डाॅ0 स्वप्निल यादव ने किया। संगोष्ठी के सफल आयोजन में डाॅ0 दरख़्शां बी, डाॅ0 काशिफ नईम, डाॅ0 शमशाद अली, डाॅ0 परवेज़ मुहम्मद का विशेष योगदान रहा।
    कार्यक्रम के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं वेब-संगोष्ठी से जुड़े रहे।
     
    प्राचार्य
    (प्रोफेसर जमील अहमद)
    गांधी फ़ैज़-ए-आम काॅलेज, शाहजहाँपुर
    Posted by GF College

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